छत्तीसगढ़ के लोकगीत।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत
*** धर्म व पूजा के गीत ***
* सेवा गीत ---यह गीत नवरात्रि के समय देवी पूजा पर गाया जाता है।
* जंवारा गीत --- इसे चैत्र नवरात्रि में गाया जाता है और जंवारा निकाला जाता है।
* गौरा गीत --- यह माँ दुर्गा की स्तुति में गाया जाने वाला लोकगीत है , जो नवरात्रि के समय गाया जाता है।
* बैना गीत --- छत्तीसगढ़ में तंत्र साधना से संबंधित गीत है , जो देवी -देवताओं को प्रसन्न करने के लिए गाया जाता है।
* नागमत गीत --- यह नागदेव के गुण -गान व नाग देश में सुरक्षा की प्रार्थना में गाया जाने वाला लोकगीत है ,जो नांगपंचमी के अवसर पर गाया जाता है।
* पंथी गीत --- छत्तीसगढ़ में सतनामी सम्प्रदाय के लोगो द्वारा आध्यात्म महिमा में रचा - बसा प्रसिद्ध नृत्य गीत है। देवदास बंजारे इसके जनक कहे जाते है।
* जस गीत --- यह देव पूजन के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है। यह देवी पूजन गीत है।
***** पर्व -उत्सव संबंधित गीत ****
* सुआ गीत --- यह गीत आदिवासी स्त्रियों द्वारा सुआ नृत्य के समय गाया जाने वाला लोकगीत है। इसे गौरी नृत्य गीत भी कहा जाता है। यह गीत दीपावली के पर्व पर शुरू होकर दीपावली के अंतिम दिवस तक चलता है। ये गीत शिव और गौरी के प्रतीक होते है।
* भोजली गीत --- यह गीत रक्षा बंधन के दूसरे दिन भादो माह कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन पर गाया जाता है। इस गीत में गंगा का नाम बार - बार आता है।
* राउत गीत --- छत्तीसगढ़ी यादव समाज में दस दिनों तक चलने वाला प्रसिद्ध दिवाली नृत्य गीत है।
* पहकी गीत --- छत्तीसगढ़ में होली के अवसर पर अश्लीलतापूर्ण परिहास में गाया जाने वाला लोकगीत है।
****** संस्कार गीत *****
* पड़ौनी गीत --- यह विवाह के समय हंसी -मजाक को मूल लक्ष्य बनाकर खाने के समय गाया जाने वाला लोकगीत है।
* नचौनी गीत --- नारी की विरह वेदना , संयोग -वियोग के रसो से भरपूर प्रसिद्ध लोकगीत है।
***** मनोरंजन गीत *****
* करमा गीत --- यह गीत करमा नृत्य के समय गाया जाता है। करमा गीत का मुख्य स्वर श्रृंगार है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे लोकप्रिय लोकगीत है।
* बाँस गीत --- यह दुःख का गीत है , जो राउत जाति द्वारा गाया जाता है। इसमें महाभारत के पात्र कर्ण और मोरध्वज व शीतबसंत का वर्णन होता है। यह नृत्य विहीन लोकगीत है। इसके मुख्य गायक कैजूराम यादव है। इनका वाद्ययंत्र बांस का बना होता है।
* देवार गीत --- यह देवार जाति के लोगो द्वारा घुंघरूयुक्त चिकारा के साथ गाया जाने वाला लोकगीत है।
* ददरिया गीत --- ददरिया गीतों को छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का राजा कहा जाता है। बैगा जनजाति ददरिया नृत्य के समय भी यह गीत गाती है। इन गीतों में सौंदर्य और श्रृंगार की बहुलता होती है। इसे प्रेम गीत के रूप में जाना जाता है। यह गीत सवाल -जवाब पद्धति पर आधारित है। यह प्रणय गीत है।
* लेजा गीत --- यह बस्तर के आदिवासी बहुल क्षेत्रो का लोकगीत है।
* धनकुल / जागर गीत --- यह बस्तर जिले में हल्बा और भतरा जनजाति द्वारा गाया जाने वाला गीत है। इसमें गायन की भाषा हल्बी होती है।
* लोरिक -चन्दौनी गीत --- यह गीत लोरिक और चंदा के प्रेम -प्रसंग पर आधारित गायन है।
* डण्डा गीत --- यह छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रसिद्ध नृत्य गीत है। यह प्रतिवर्ष पूर्णिमा से पूर्व गाया जाता है। इसे शैला नाच भी कहा जाता है।
* भरथरी गीत --- इसमें राजा भरथरी और रानी पिंगला के वैराग्य जीवन का वर्णन किया जाता है। इसकी प्रमुख गायक सुरुजबाई खाण्डे है। इसका वाद्ययंत्र एकतारा एवं सारंगी है। इसके गायन का कथानक श्रवण पर आधारित है। इस लोकगीत को विद्या के रूप में जाना जाता है।
* पण्डवानी गीत ---यह महाभारत कथा का छत्तीसगढ़ी लोकरूप है। यह अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। पण्डवानी के रचयिता सबल सिंह चौहान है।
* रीलो गीत --- यह छत्तीसगढ़ में मुरिया जनजाति द्वारा गाया जाने वाला प्रसिद्ध वैवाहिक गीत है। इसमें पुरुष और महिला बारी -बारी से गाते है।
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